Updated: Dec 22, 2020

शतावरी का उल्लेख भारतीय आयुर्वेद में सबसे ज्यादा मिलता है। यह पौधा उत्तर भारत में अधिक पाया जाता है। इसकी जड़ को औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। शरीर में बल और वीर्य को बढ़ाने के लिए शतावरी की जड़ का प्रयोग किय जाता है। यूं तो शतावरी स्त्री व पुरुष दोनों ही के लिए उपयोगी और लाभप्रद गुणों वाली जड़ी है, लेकिन स्त्रियों के लिए विशेष रूप से गुणकारी व उपयोगी होती है।
आयुर्वेद के अनुसार शतावरी एक स्वस्थ पोषक तत्व समृद्ध वनस्पति है जिसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल सामग्री नहीं होती है। इसमें बहुत कम कैलोरी और सोडियम हैं। इसमें विटामिन ए, सी, ई, के, बी 6, फोलेट, लोहा, तांबे, कैल्शियम, प्रोटीन, और फाइबर जैसे विटामिन और खनिजों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
शतावरी के गुण
- शतावरी में काफी पोषक तत्व होते हैं. इसमें फैट या कोलेस्ट्रॉल नहीं होता. इतना ही नहीं यह बेहद लो कैलोरी और कम सोडियम वाला आहार है।
- शतावरी में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी 6, फोलेट, आयरन, कैल्शियम, फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं।
- शतावरी मूत्र प्रवाह बढ़ाने का काम करती है, और इसी के चलते यह गुर्दे को साफ करने में भी किरदान निभा देती है।
- खांसी या दस्त में में शतावरी काफी फायदेमंद है.
शतावरी के फायदे
शतावरी के कई फायदे होते हैं। यह गठिया और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होती है। यह मेटाबॉलिजम को अच्छा बनाती है। हार्मोनल डिसबेलेंस, गैस्ट्रिक अल्सर, कब्ज जैसी समस्याओं को भी यह दूर करती है। इसे यौन इच्छा को बढ़ाने वाली औषधि के तौर पर बहुत ही पहले से जाना जाता है, पर साथ ही यह स्ट्रेस, हार्ट और बीपी को भी नियंत्रित रखती है।
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